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Sunday, April 16, 2017

हर भारतीय नागरिक यहाँ का मूल निवासी है..............

आज कल भारत दो वर्गो में बंट चूका है: दलित और सवर्ण

इस पोस्ट में मैं साबित करूँगा कि यह दोनों नाम तथाकथित है, जिसका भारतीय सभ्यता और संस्कारो से कोई लेनादेना नहीं है|

गणितशास्त्र में सभी प्रमेयो (Theorem) में सबसे पहला भाग पक्ष (Statement), उसके बाद साध्य (Expression), उसके बाद तर्क (Proof) और उसके बाद निष्कर्ष (Conclusion) का होता है|

शुरू करते है|

पक्ष

हर भारतीय नागरिक यहाँ का मूल निवासी है|

साध्य

भारत में वर्गभेद नहीं था| किसीने जान-बुझकर डाला है|

तर्क

  • सबसे पहला तर्क: यदि सिर्फ दलित ही भारत के मूलनिवासी है, तो उनका चेहरा, आँख, कान, कद, काठी आदि सब शारीरिक ढांचा सवर्णों के बराबर क्यों है? यदि सवर्ण बाहर से आए है और दलित मूलनिवासी है| तो दोनों के शरीर का ढांचा अलग अलग होना चाहिए|
  • हम सब जानते है कि भारत में अंग्रेजो ने अपनी कुख्यात निति से राज किया है|
  • इस निति का नाम है: "बाँटो और राज करो" (Divide and Rule)
  • इस निति में अंगेज भारत की बिभिन्न जातियों में दरार डालने का और आपस में लड़वाने का काम करते थे|
  • सबुत तो यहाँ तक मिलते है कि अंगेजो ने हमारे शास्त्रों में भी विक्षेप डलवाए थे|
  • अस्पृश्यता और दूसरी तरफ खुद के दबने का गुस्सा भी अंग्रेजो की इसी निति का परिणाम है|
  • अंग्रेजो की इसी निति को हमारे देश के राजनेताओ ने आगे बढाया होगा| तभी वह इतना भयानक है|
  • शास्त्रों को गहराई से पढ़े तो कुछ जगहों को छोड़कर (जो अंग्रेजो ने विक्षेपित की है) कही भी एक खास वर्ग को ऊंचा और दुसरे वर्ग को नीचा दिखाने की भावना नहीं मिलती|
  • जहाँ तक मनुस्मृति का सवाल है: मनु को इस जगत का प्रथम पुरुष कहा जाता है| यदि उन्हीके बाद सारा संसार आया, तो मनु ने किस आधार पर समाज को बांटा? दूसरी बात कौन-सा बाप अपने बेटो में भेद रखता है? यह तर्क मनुस्मृति के दुष्प्रचार से बिलकुल मेल नहीं खाती|
  • दरअसल मनुस्मृति की असली प्रति खो चुकी है| आज की उपलब्ध मनुस्मृति अंग्रेजो की लिखी गई है|
  • यदि सवर्णों ने इतना ही जुर्म किया है तो इन तिन तर्कों का कोई तोड़ है???
  1. रामायण में भगवान श्रीराम ने शबरी के झूठे बेर क्यों खाए? जबकि वह तो भील जाती की थी|
  2. दुर्योधन ने अंगराज कर्ण को क्यों अपनाया? जबकि वह तो सूतपुत्र था|
  3. हर गाँव में अस्पृश्य होते है, तो गोकुल में कौन अस्पृश्य था? जिसके घर भगवान श्री कृष्ण मक्खन नहीं चुराते थे|
निष्कर्ष

अंग्रेजो ने ही भारत में वर्गभेद और जाति के नाम पर भ्रांतियां डालने का काम किया था| अंग्रेजो के आगमन से पूर्व भारत में अस्पृश्यता का नामोनिशान नहीं था| अतः भारत का प्रत्येक नागरिक यहाँ का मूलनिवासी है|

तो भ्रांतियों में जीना बंद करो और देश के विकास पर ध्यान दो|

(मैं अपने अगले ब्लॉग-पोस्ट में अनामतप्रथा के बारे में अपना पक्ष रखूँगा| http://pathikjoshi.blogspot.in/2017/05/blog-post_13.html)

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