वैसे धर्म/मजहब और विज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलु है। आज के हिन्दु धर्म की बात छोड दो। अतिप्राचिन सनातन वैदिक धर्म ने धर्म को विज्ञान से इतनी गहराई से जोड दिया गया था, की पूछे मत! आज भी हिन्दु लोग सुर्यदेव को अर्ध्य देते है, यज्ञ करते है, तुलसी का पौधा लगाते है, तीलक करते है। उनसे क्या होता है?
सुर्यदेव को अर्ध्य देने सेः-
सुबह सुर्य की पहली पतली किरण आंखो के लिए बहुत अच्छी होती है। पानी से उसे देखनेपर वह सात रंग जो इन्द्रधनुष/Rainbow/اندردھنش के होते है, उसमें विभाजित हो जाते है, वह आंखो के लिए लाभदायी होती है।
यज्ञ करने सेः-
कार्बन डायोक्साईड जैसे गैसीस तो पेड-पौधे ले लेते है। लेकीन कार्बन मॉनोक्साईड, मिथेन, नाईट्रोजन डायोक्साईड ईत्यादी गैसीस पौधे नहीं ले सकते। उसका असर कम करने के लिए यज्ञ लाभदायी होते है। यद्यपि यज्ञ से थोडा कार्बन डायोक्साईड निकलता है, जिसे लेने के लिए दो से तीन पेड काफी होते है। यज्ञ में सीर्फ गाय का शुध्ध घी, गाय के सुखे गोबर, जौ, गुग्गुल,
तल,
चंदन की लकडीयां ईत्यादी द्रव्य ईस्तेमाल किये जाते है। उनसे वायुमंडल शुध्ध होता है। मिसाल के तौर पर एक किलोग्राम गाय का शुध्ध घी जलाने से तकरीबन पांच शहर के फैक्टरी की जहरीली गैस का विनाश होता है।
तुलसी का पौधाः-
तुलसी कई तरह की
बिमारियो में दवाई का काम करती है। तुलसी को केंसर का ईलाज माना गया है| तुलसी के पेड की लकडी से बनी माला हमारी उंगलीयो
के लिए लाभप्रद होती है। बरगद और पीपल की तरह तुलसी भी चौबीसों घंटे ऑक्सीजन देती है| तुलसी से घर का वातावरण अच्छा रहता है।
तीलक क्यो करते है :-
तीलक करने से हमारे दिमाग में अच्छे अच्छे
विचार आते है। मन सदैव आनंदित रहता है।
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