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Friday, March 22, 2013

बिकाऊ मिडिया का होली में पानी की बर्बादी का मुद्दा

इस साल जैसे जैसे होली नजदीक आ रही है, देश के तथाकथित Electronic Media वाले होली में पानी की बर्बादी के मुद्दे को उछालकर भारत में शुरू हुए सभी पन्थो में सामिल करोडो नागरिको की परंपरा के साथ खिलवाड़ कर रहे है और देश की जनता को खुलेआम गुमराह कर रहे है| इसी मिडिया ने पिछले वर्ष कड़वाचौथ को लेकर भी मजाक बनाया था| कभी दीवाली में पटाखे को लेकर विवाद करते है, तो कभी श्रावण महीने में शिवलिंग पर दूध चढाने का उपहास करते है| मिडिया यह सब किसके इशारे पर कर रही है यह भी सवाल आता है|

दूसरी वस्तुओ पर भी कुछ तर्क है|
1. यदि आपको दिवाली के पटाखे ही दिख रहे है, तो राजनेता और मिडिया के VIP लोगो की शादियो में जो करोडो रूपयों के पटाखे का धुआ होता है, वह क्यों नहीं दिख रहा? (मेरा तर्क)
2. यदि इस देश में दूध की कमी है, तो इस देश में चल रहे हजारो कत्लखाने क्यों बांध नहीं होते? (भारतीय योद्धा मंच का तर्क)
3. IPL के एक मैच मेँ कितने पटाखे फूटते है ये भी दुनिया देखती है । (भारतीय योद्धा मंच का तर्क)

और अंततः होली में तथाकथित पानी की बर्बादी के पीछे का तर्क,

यदि आपको सेक्युलरिज्म के नाम पर सिर्फ इस देश के हिन्दुओ को ही सताने का हाथ में आ रहा है, तो इसी पानी से बिजली बनती है जो न्यू ईयर और क्रिसमस के दिन भारी मात्रा मेँ बरबाद हो जाती है। यद्यपि हमने इसका कभी विरोध नहीं किया, क्योंकि यह उनकी परंपरा है| फिर आपका क्या हक़ बनता है हमारी परंपरा में दखलंदाजी खेलने का!

हाल ही में दिल्ली गेंगरेप केस में जब लाखो प्रदर्शनकारियों पर पानी के फव्वारे छोड़े गए तब इसमे करीब 30 टेंकर पानी बर्बाद कर दिया गया| क्या हमारी बिकाऊ मिडिया को यह दिख नहीं रहा?????? लोकतंत्र में सरकार जनता के लिए काम कराती है और राजशाही में जनता राजा के लिए| यह सोचनेवाली बात है की मिडिया जो कर रही है वह संवैधानिक है!!!!!!!!!!

मेरी एक दूसरी ब्लॉग-पोस्ट है,  होली मनाने का परम्परागत तरीका (नए टेब में खुलेगा) पहले इसे पढ़ लीजिए, इसके बाद यह पोस्ट पढ़ना जारी रखे|

उस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपके ध्यान में आ गया होगा| पारंपरिक होली में जीतना पानी इस्तेमाल होता है, इससे सौ गुना पानी केमिकल्सयुक्त पदार्थो वाली होली में बर्बाद होता है| हमारा धर्म पर्यावरण का रक्षक है, भक्षक नहीं, होली अवश्य मनाए| लेकिन पानी का प्रयोग केवल टेसू के फूल के लिए ही करे| यही मेरा निष्कर्ष है|

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