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Friday, October 19, 2012

भारत: यह कैसी धर्मनिरपेक्षता

धर्मनिरपेक्षता का मतलब होना चाहिए, कोई धर्म अपने रीत-रिवाज, अपनी परंपरा या उत्सव के लिए स्वतंत्र होना चाहिए। प्रशासन के लिए धर्म के मुताबिक शासन या प्रतिबंध नहिं होना चाहिए।

बच्चे छोटी कक्षाओ में पढते है, तब उनके टॅक्स-बुको से ही धर्मनिरपेक्ष सरकारे दखल देना शुरू कर देती है! मिसाल के तौर पर "ग गणपति का" ऐसा पढाना छोडकर उसकी जगह "ग गघे का", यह कैसी बात हुई। भारत में कोई भी धर्म का व्यक्ति गणपति को जानते है ना? यदी धर्मनिरपेक्ष बनना है, तो अंग्रेजी की किताबो में "x for X-tree(नाताल का पेड)" हटा दिजिए ना!

यदी किसी जगह पर कोमि हिंसा फुट निकलती है, तो उसमें सभी दोषी है। किसी गलत फैसले का यूं दुसरे धर्म के मासूम लोगो पर गुस्सा निकालना नैतिकता के खिलाफ है। सरकार ने अभी ऐसा कानून (Communal and Targeted Violance Bill 2011) बनाना चाहती है, की कोमि हिंसा में सिर्फ हिन्दुओ को दोषी माना जाएगा। यह सरासर गलत बात है।

यह सब को समज़ लेना चाहिए की कौन सी पार्टी क्या राजनिती खेल रही है। मै तो कहता हुं की, "आज कल हमारी सरकार ज्यादातर अल्पसंख्यक लोगो के वोट वोट पाने के लिए ऐसे बेहुदा फेसले कर रही है।"

भारत में रहनेवाले ईस्लाम, ईसाई इत्यादी धर्म के लोग प्राचिनकाल में हिन्दु ही थे, हम सबके पुर्खे एक ही है। हम गैर नहिं है, हमारे बिच एक ही संस्कृति का नाता है। सभी भारतीयो को अपने भारतीय होने पर नाज होना चाहिए। लडाई, झगडे, कोमि हिंसा हमें शोभा नहिं देता।

मेरा तात्पर्य यह नहिं है की सबको फिर से हिन्दु बन जाना चाहिए। मगर धर्म के नाम पर लडाई-झगडे बंध कर देने चाहिए।

हम सब को एक अच्छे और सच्चे हिन्दु, मुस्लिम या ईसाई जरूर बनना चाहिए। लेकिन सबसे पहले एक भारतीय बनना चाहिए। यदी सरकार कोई भी कानून धर्म के उपर बनाती है, या किसी भी पवित्र स्थान या लिखावट में दखल देती है, तो सभी धर्म के लोगो को इस पर आवाज़ ऊठानी चाहिए।

॥ भारत माता कि जय ॥

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